tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post1310611852299942710..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: तीन नंबर की ईंट वाली गलीसागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-82329672255789426452010-11-26T22:56:11.781+05:302010-11-26T22:56:11.781+05:30आज सोचा की कुछ लिख के ही जाऊं वापस यहाँ से...:)
आप...आज सोचा की कुछ लिख के ही जाऊं वापस यहाँ से...:)<br />आपको पता तो चले की हम आपकी हर पोस्ट पढ़ भी लेते हैं, इन्तेज़ार भी करते हैं.<br />सहेलियों वाली पोस्ट भी पढ़ लिया..कमेन्ट यहाँ कर रहा हूँ. <br /><br />कैसी लगी ये बताने की जुरुरत है क्या ?? :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-57405027817415013052010-11-22T19:55:28.722+05:302010-11-22T19:55:28.722+05:30शब्दों के भीतरी जंगल में ...घूमना ओर किसी खास सन्द...शब्दों के भीतरी जंगल में ...घूमना ओर किसी खास सन्दर्भ को सामने रखना खास तौर से उसे जिसे लेकर थोड़ी अजीब किस्म की बाहुदरी चाहिए .....<br />कभी कृशन बलदेव वैद को पढ़ा है ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-37048984496010584482010-11-22T12:36:58.924+05:302010-11-22T12:36:58.924+05:30सागर........ तुम्हारे इस पोस्ट पे कमेंट बाद मे कर...सागर........ तुम्हारे इस पोस्ट पे कमेंट बाद मे करुंगा। अभी एक ख्याल ज़ेहन मे आया है। भई ये शराब पीकर ही मर्दानगी के एहसासात क्युं होते हैं आपको। कई पोस्ट मे ये पढ चुका हूं। अब आप समझ सकते है कि आपके पाठक आपको कितनी संजीदगी से पढते हैं।<br /><br />would you like to add somthing apoorva and kush?<br /><br /> satyaSatya Vyashttps://www.blogger.com/profile/13617417566524777577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-74977211650109519942010-11-19T10:09:49.645+05:302010-11-19T10:09:49.645+05:30आहा..!! ये शब्दों का चक्रव्यूह रच दिया है दोस्त.. ...आहा..!! ये शब्दों का चक्रव्यूह रच दिया है दोस्त.. अन्दर ही अन्दर घुमते हुए.. खुली आँखों से खड़े रोंगटो को सँभालते हुए पढ़ा.. जबरदस्त कहूँ तो भी कम होगा..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-32519118043229108812010-11-18T20:54:03.040+05:302010-11-18T20:54:03.040+05:30साहित्य के अनछुये पहलुओं को शब्दों के माध्यम से खी...साहित्य के अनछुये पहलुओं को शब्दों के माध्यम से खींच लाने का सफल प्रयास। इतनी बेबाकी से कैसे लिख लेते हैं, एकाग्रता के चरम मानकों के बारे में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-22529611883380299132010-11-18T20:51:11.957+05:302010-11-18T20:51:11.957+05:30वों किस डर कि बात कर रहे हैं सबके अन्दर है ये तो.....वों किस डर कि बात कर रहे हैं सबके अन्दर है ये तो...हर कोई भाग रहा है इस डर से...और इसी डर से शायद डर कर कोई यहाँ भी अश्लीलता का कमेंट्स मार कर भाग जायेगा...लेकिन बढियां है हमें पसंद है ये डर....ये डर जरुर जाहिर किये जाने चाहिए,.....कब तक भागेंगे हम इससे....anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.com