tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post2492780924152762564..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: हश्र है वहसते-दिल की आवारगी...सागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-14998631577576145372010-12-09T14:58:03.519+05:302010-12-09T14:58:03.519+05:30बेहतरीन डायरी के पन्ने .....!!बेहतरीन डायरी के पन्ने .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-90573989736489232512010-12-06T17:06:48.789+05:302010-12-06T17:06:48.789+05:30बात तो सही कही है आपने ....लिखा बेशक गद्य में है ...बात तो सही कही है आपने ....लिखा बेशक गद्य में है ..पर काव्यात्मकता पूरी तरह से झलकती है ...बहुत विचारणीय पोस्ट ...शुक्रियाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-41081771746808850212010-12-06T15:03:32.124+05:302010-12-06T15:03:32.124+05:30रेगुलर पोस्ट तो खैर लिखते ही रहो | तुम ऐसी पोस्ट भ...रेगुलर पोस्ट तो खैर लिखते ही रहो | तुम ऐसी पोस्ट भी लिखो सागर, लेकिन उन्हें पब्लिश मत करो तब तक, जब तक कि उनके टुकड़े आपस में नहीं जुड़ जाते | तुम बेशक अच्छा गद्य लिखते हो, अच्छी कहानी कहने का हुनर भी है | बेतरतीबी को बस एक सिलसिला दे दो, दरिया खुद रास्ता ढूंढ लेता है |Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-19142982769835413352010-12-04T22:31:56.516+05:302010-12-04T22:31:56.516+05:30पोस्ट लेखक के द्वारा खुद को जबरन बुरा/निकृष्ट साबि...पोस्ट लेखक के द्वारा खुद को जबरन बुरा/निकृष्ट साबित किये जाने की को्शिश और ’उस’के द्वारा लेखक को ऐसा मान भी लिये जाने से पैदा लेखक की झुंझलाहट का सटीक चित्रण करती है...वैसे सोच अगर घाघरे के दायरे जितनी तंग हो जाये तो सवाल उठने लाजिमी हैं..सच कहा है मगर इसका दूसरा पार्ट किधर है..मतलब रानी के कहे को गुलामों ने भी और का और समझा होगा..नहीं?..वैसे मुआमला पेचीदा है खासा..लेखक के कहे को ’उसने’ क्या इंटरप्रेट किया..फिर उसके इंटरप्रेटेशन को लेखक ने कैसे इंटर्प्रेट किया..और अब लेखक के इस इंटर्प्रेट किये हुए को पाठक क्या इंटरप्रेट करता है..असली बात तो बड़ी पीछे रह गयी...बड़ा काम्प्लेक्स सा हो गया...या यूँ कहें कि सादे पानी जैसे कथाक्रम मे इतने सारे लोग अपनी साइकोलॉजी के अलग-अलग रंग घोल रहे हैं कि आखिरी रंग सबका मिक्सचर हुआ है.. <br />मगर जिंदगी इन सारे कच्चे-पक्के कन्फ़्यूजन्स से मिल के ही बनती है ना...अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-76508481978453896762010-12-03T18:22:05.281+05:302010-12-03T18:22:05.281+05:30एक था राजा, एक थी रानी, दोनों जिंदा है ....शुरू कह...एक था राजा, एक थी रानी, दोनों जिंदा है ....शुरू कहानी ....अच्छी कहानी है सागर! आप भी लिखना सीख गए :-) <br />आगे क्या हुआ सागर ??????प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-62578301183849184252010-12-03T14:41:52.364+05:302010-12-03T14:41:52.364+05:30@सागर
कहानी का हिस्सा मान सकते हैं पर कहानी इत्ते ...@सागर<br />कहानी का हिस्सा मान सकते हैं पर कहानी इत्ते भर ही थोड़े होती है ... कहानी तो इत्ते भर भी होती है एक राजा था एक रानी,दोनों मर गये खत्म कहानी...):डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-63612295345792497792010-12-03T14:39:41.268+05:302010-12-03T14:39:41.268+05:30@सागर
कहानी नहीं है या कहानी का एक टुकड़ा ,मतलब इसस...@सागर<br />कहानी नहीं है या कहानी का एक टुकड़ा ,मतलब इससे नहीं है..पोस्ट कहना अजीब सा लगता है इसलिए कहानी लिख दिया और क्या आप ज़िन्दगी भर पोस्ट पोस्ट ही लिखते रहेंगे? कोई नाम दिया करे..सुविधा रहेगी ...):डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-22109933529038988112010-12-03T12:54:45.701+05:302010-12-03T12:54:45.701+05:30@ डिम्पल मल्होत्रा
यह कहानी नहीं था. मैंने अभी त...@ डिम्पल मल्होत्रा <br /><br />यह कहानी नहीं था. मैंने अभी तक कहानी कहना कहाँ सीखा है... यह कल्पना और सोच का संगम था, एक झलक था मानव मन में झांकते हुए देखने का, एक मानसिकता थी... सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए जानना था... इसे किसी नोवेल में लिया जा सकता है, कहानी का हिस्सा मान सकते हैं पर कहानी इत्ते भर ही थोड़े होती है ... इस लिहाज़ से देखें तो यह बिलकुल एकतरफा होगा की जैसे अपनी बात कही, वही सच है, सर्वोपरि है और अकाट्य है और सही है. <br /><br />फिलहाल इसे सोच परोसती एक पोस्ट भर मानिए.. दिल किया या समय मिला तो यू टर्न भी लेंगे... आपका धन्यवाद !सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-41860720202848548082010-12-03T11:58:21.489+05:302010-12-03T11:58:21.489+05:30हमने कुछ कहा तुमने कुछ और सुना....अब क्या करें इसम...हमने कुछ कहा तुमने कुछ और सुना....अब क्या करें इसमें मेरी खता नहीं ...anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-11856110474842943282010-12-02T23:04:51.299+05:302010-12-02T23:04:51.299+05:30मैंने कहा बहुत ही पारदर्शी है और उसने सुना एक नाटक...मैंने कहा बहुत ही पारदर्शी है और उसने सुना एक नाटक भर..<br />एक पक्ष सामने रखती कहानी..<br />मैंने कहा की बेचारगी और उसने सुना पे लगे आरोप..<br />रोचक :)डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-27028274819813357112010-12-01T19:18:44.391+05:302010-12-01T19:18:44.391+05:30कहने और सुनने के बीच ऐसे कितने ही गढ्ढे खुले रहते ...कहने और सुनने के बीच ऐसे कितने ही गढ्ढे खुले रहते हैं, हमको ज्ञात ही नहीं रहते हैं। बड़े सुन्दर ढंग से आपने प्रस्तुत किया। सार्थक सराहनीय लेख।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-5180259276496696982010-12-01T14:58:30.836+05:302010-12-01T14:58:30.836+05:30ओह सोचालय... ये तुम हो क्या???ओह सोचालय... ये तुम हो क्या???कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-18529513498839035042010-12-01T11:32:45.284+05:302010-12-01T11:32:45.284+05:30Limitations Of Verbal Communication.
मौखिक संचार क...Limitations Of Verbal Communication.<br />मौखिक संचार की सीमाएं.<br />:(दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-85485490061956777512010-12-01T01:47:12.503+05:302010-12-01T01:47:12.503+05:30:-)gender decoding!!:-)gender decoding!!neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-55343394173143448412010-11-30T22:12:50.654+05:302010-11-30T22:12:50.654+05:30बढ़िया जी ...पर वो करे भी क्या उसको "रीड बिटवी...बढ़िया जी ...पर वो करे भी क्या उसको "रीड बिटवीन liens " की आदत होगीsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.com