tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post2641923481470546857..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: काई लगी दीवारें...सागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-66244959468870560872010-06-02T18:36:14.214+05:302010-06-02T18:36:14.214+05:30सागर इसे थोड़ा और माज दो यार…बहुत अच्छी बन जायेगी…...सागर इसे थोड़ा और माज दो यार…बहुत अच्छी बन जायेगी…अच्छी तो अभी हैAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-22368826242097439522010-05-08T22:02:02.153+05:302010-05-08T22:02:02.153+05:30आपका लिखाव , पूजा जी का समझाव , पंकज का
उछलाव , अ...आपका लिखाव , पूजा जी का समझाव , पंकज का <br />उछलाव , अनुराग जी का गुलजारी सुलझाव और <br />अनूप जी का अपेक्षित निपटाव ... सब बढियां है !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-34611694742877928072010-05-07T20:21:46.790+05:302010-05-07T20:21:46.790+05:30खुदको आईने में उतारना और खुदसे इमानदार होना मुश्कि...खुदको आईने में उतारना और खुदसे इमानदार होना मुश्किल होता है सागर सहजता से कर लेता है यह सब ... पूजा ने सुन्दर शब्दों में कहा है और मैंने बहूत कम में... अंगुलियाँ से रंगा स्लेटी स्याही का जायका अलग ही है ...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-62811470463357881112010-05-02T23:00:16.325+05:302010-05-02T23:00:16.325+05:30बरबाद कर देंगे सब नयी उमर के लड़के। आज दिन भर पंकज ...बरबाद कर देंगे सब नयी उमर के लड़के। आज दिन भर पंकज की सारी पोस्टें बांची। अब तुम खड़े हो लिये सामने! निपटते हैं तुमसे भी! <br /><br />ये वाली पोस्ट पढ़कर लग रहा है पिछला हिसाब किताब भी देखा जाये!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-27629368856776893252010-05-02T13:16:49.590+05:302010-05-02T13:16:49.590+05:30sagar ji ...post padhne ke liye jyada hi mehnat ka...sagar ji ...post padhne ke liye jyada hi mehnat karwa di aapne... zoom kar kar ke ..aankhe gada gada ke padhi maine post..lekin mehnat safal hui...dimaag ko sukun mila aapne apni bechaini is kareene se likhi hai ..aur yah geet...humesha se pasand hai ..स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-88987154863244556652010-05-02T11:19:27.416+05:302010-05-02T11:19:27.416+05:30कनपटी पर एक मनहूसियत रखी है जो वक्त-बेवक्त तारी हो...कनपटी पर एक मनहूसियत रखी है जो वक्त-बेवक्त तारी हो जाता है. यह किसने तिल-तिल कर मरने कि बद्दुआ दी है. जिंदगी के हर सिप का ज़ायका फीका लगता है. कोई कहीं है जो बैठकर मर्सिया पढता है.<br /><br /><br />अभी अभी तुम्हारे कसीदे कही पढ़ कर आ रहा हूँ...अक्सर लोगो के मुंह पे तारीफ़ करने से वे बिगड़ जाते है .....इसलिए कभी कभी उन्हें रुक कर डोज़ दी जाती है ....स्लो डोज़.......<br />गुलज़ार साहब के दो नज़्म मेरे लिए केटेलिस्ट का काम करती है .ये ओर "तुम्हारे उतारे हुए दिन टंगे है "....इसलिए मेरे मोबाइल के हर मेमोरी कार्ड के साथ उनका कम्पलसरी स्पेस तय है .....दर्शन ओर तुमने मेरी इस आभासी जगत में कवितायों ओर अकविताओ की बाबत दिलचस्पी को ज़िंदा रखा है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-42026499625769210522010-05-02T08:42:16.696+05:302010-05-02T08:42:16.696+05:30सागर, मैने इन कुछ दिनो मे एक काम अच्छा किया है कि ...सागर, मैने इन कुछ दिनो मे एक काम अच्छा किया है कि तुम्हे जाना है.. पूजा सही कहती है "इसे वैसे ही पढ़ना चाहिए, धुंधले शब्दों में खोते, डूबते उतराते हुए."Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-49735033970078962942010-05-01T22:54:50.927+05:302010-05-01T22:54:50.927+05:30wawo behtrin sir......wawo behtrin sir......anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-87290393145054949002010-05-01T21:14:06.747+05:302010-05-01T21:14:06.747+05:30उदास पन्नों की फीकी स्याही में कमाल का जायका आता ह...उदास पन्नों की फीकी स्याही में कमाल का जायका आता है, तब तुम्हें पढ़ना नहीं, तुम्हें जीना लगता है.<br />दोबारा यहाँ तुम्हारी टिप्पणी में एक साँस में पढ़ी तो लगा जैसे लिखने में कुछ रह गया हो, कुछ अधूरा...कि इसे ऐसे नहीं पढ़ना चाहिए...इसे वैसे ही पढ़ना चाहिए, धुंधले शब्दों में खोते, डूबते उतराते हुए. <br />संग्रहालय...तुम हो सागर...वाकई, जिंदगी के कुछ जाने अनजाने पलों को समेटे. कई बार तुम्हें पढते हुए ऐसा लगता है कि तुम्हें बड़े करीब से जाना है. या कि जिस जिंदगी को तुमने जिया है उसका कुछ हिस्सा मैंने भी देख रखा हो.<br /><br />जाने कैसा लिखते हो सागर, पढ़ के सुना सुना, देखा देखा, जिया जिया लगता है. <br /><br />तुम्हारी लेखनी को सलाम.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-19799756944352958152010-05-01T20:45:26.948+05:302010-05-01T20:45:26.948+05:30Bahut hi khoob.Bahut hi khoob.Anandhttps://www.blogger.com/profile/14776975906443097090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-18324696554105531832010-05-01T19:24:59.796+05:302010-05-01T19:24:59.796+05:30@ डिम्पल,
चुनांचे अपनी तबियत भी कौन सी मीठी है ? व...@ डिम्पल,<br />चुनांचे अपनी तबियत भी कौन सी मीठी है ? वहां भी तो यही लिखा है. शायद बहुत सही कह दिया आपने "पढ़ा नहीं जाता अच्छे से"सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-60655119411332487532010-05-01T17:42:48.488+05:302010-05-01T17:42:48.488+05:30Aah!Aah!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-5639866454067630572010-05-01T17:33:13.805+05:302010-05-01T17:33:13.805+05:30गोया में भी कहाँ मुकम्मल हूँ.ऐसे में खुद से कहें -...गोया में भी कहाँ मुकम्मल हूँ.ऐसे में खुद से कहें --हम सुन्दर हैं :)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-22627689949773821872010-05-01T17:09:31.567+05:302010-05-01T17:09:31.567+05:30सदियाँ बीत रही हैं और ठिठके दोपहर की घडी में दो बज...सदियाँ बीत रही हैं और ठिठके दोपहर की घडी में दो बजने में दस मिनट बांकी है. वक्त आगे... बहुत आगे चला आया है पर कहीं कुछ भी नहीं बदला जिंदगी में.<br /><br />बारिशों में भीगता हुआ इसी रुके दोपहर में घर आता हूँ तो यह जंग लगा हुआ अजायबघर नज़र आता है. आईना कहता है – मैं खुद भी तो संग्रहालय हो गया हूँ.<br /><br />कनपटी पर एक मनहूसियत रखी है जो वक्त-बेवक्त तारी हो जाता है. यह किसने तिल-तिल कर मरने कि बद्दुआ दी है. जिंदगी के हर सिप का ज़ायका फीका लगता है. कोई कहीं है जो बैठकर मर्सिया पढता है.<br /><br />सिगरेट के धुंए जैसा हवा में विलीन होने जितनी जिंदगी होती तो क्या बात होती ! पानी की खाली बोतल पंखे की ज़रा सी हवा से देर तक घुडकती है. चश्मे के नीचे रखा अखबार फड़फड़ाते हुए बार-बार कुछ कह रहा है. केनवास पर बरसों से पेंडिंग एक अधूरी तस्वीर पड़ी है.<br /><br />... गोया में भी कहाँ मुकम्मल हूँ.<br /><br />घडी में अब भी दो बजना चाहता है. और अपने ऊब में उकसाए हुए हम सदियों से कुछ सफ्हे पर मैराथन खेल रहे हैं. <br /><br />---- सागर<br />01.05.2010सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-74346934631513328872010-05-01T17:08:50.929+05:302010-05-01T17:08:50.929+05:30डबल डोज.. ! एक तो धुरंधर पोस्ट ऊपर से ये गाना.. वा...डबल डोज.. ! एक तो धुरंधर पोस्ट ऊपर से ये गाना.. वाह! <br /><br />और तुम कहते हो तारीफ़ ना किया करे.. हर बार एक धाकड़ पोस्ट ठोंक जाते हो..!कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-6775101178803162622010-05-01T16:58:00.587+05:302010-05-01T16:58:00.587+05:30इतना फीका है के पढ़ा नही जाता अच्छे से...इतना फीका है के पढ़ा नही जाता अच्छे से...डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.com