tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post353413702073297957..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: ये खूं की महक है कि लब-ए-यार की खुशबूसागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-76426275658832180152011-06-08T16:45:23.572+05:302011-06-08T16:45:23.572+05:30Beautiful expression .Thanks.Beautiful expression .Thanks.G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-23954556852745241812011-06-04T16:28:54.425+05:302011-06-04T16:28:54.425+05:30आपकी पोस्ट तो साग़र साहब गज़ब थी ही... वहाँ से गिर...आपकी पोस्ट तो साग़र साहब गज़ब थी ही... वहाँ से गिरे तो प्रिया की टिप्पणी पर अटक गये... बड़ी देर से सोच में हैं कि आपने ऐसा क्या कह दिया पोस्ट में कि उन्हें उस्तरा चलाने की ज़रुरत आन पड़ी :) ख़ैर उनकी वो जाने.. आप तो संभल के रहियेगा... सुना है ये शायर / साहित्यकार टाइप लोग थोड़े सनकी भी होते हैं :):)<br /><br />और हाँ ये साहित्यकार / शायर बनाने वाली मिट्टी कहीं मिलती है तो पता हमें भी बता दीजिये... इस वीकेंड पर फ्री हैं.. सोच रहे हैं हम भी कुछ बना ही डालें ख़ाली समय में :Prichahttps://www.blogger.com/profile/17341853830091317236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-85512807424323022112011-06-04T13:36:45.897+05:302011-06-04T13:36:45.897+05:30कुछ लोग साहित्यकार टाईप हो रहे हैं.....ये सोच साहि...कुछ लोग साहित्यकार टाईप हो रहे हैं.....ये सोच साहित्यकारों पे क्या बीतती होगी :)?<br />अगर पंख निकल आये तो बताना, उस्तुरा चलाने वाला कोर्स करने की सोच रहे हैं .....वैसे हमने तारीफ कि या बुराई ... एकदम ही कन्फ्यूजिया गए हैं.....ये शायरों की मिट्टी कहाँ मिलती हैं भाई .....एक शायर बनाना हैप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-70848300430192354802011-06-04T12:20:27.395+05:302011-06-04T12:20:27.395+05:30@.ये कैसे हो जाता है या खुदा! कि दरख्त गुम हुए जात...@.ये कैसे हो जाता है या खुदा! कि दरख्त गुम हुए जाते हैं मगर उसके पत्ते हरे रह गए<br /><br /><br />और शब्द तैरते रहे आसमान में और सागर खो जाए....दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-40036843272296734652011-06-04T10:47:24.550+05:302011-06-04T10:47:24.550+05:30उफ़ सागर...किस पंक्ति को पसंद करूँ...क्या रहने दूँ...उफ़ सागर...किस पंक्ति को पसंद करूँ...क्या रहने दूँ. तुम ऐसा जब लिखते हो लगता है पूरी पोस्ट उठा कर कोट कर दूँ. '... अजीब बात है वो शाइर कैसे फकीरों सी दुआ देता था।' 'आज़ाद बदन के मुल्क में तुमने जीने के लिए इतनी शर्तें दीं कि हम ताउम्र गुलाम रहे.'<br />किन शब्दों में तुम्हारी तारीफ करूँ. वापस आउंगी...कुछ शब्दों में लिखने कि पढ़ कर कैसा महसूस होता है.<br /><br />बहुत अच्छा लिखा है...ये कहने से काम चल जाता काश!Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-14476868857430881622011-06-04T00:09:58.206+05:302011-06-04T00:09:58.206+05:30आज़ाद बदन के मुल्क में तुमने जीने के लिए इतनी शर्त...आज़ाद बदन के मुल्क में तुमने जीने के लिए इतनी शर्तें दीं कि हम ताउम्र गुलाम रहे...<br /><br />ज़ुबां से फलसफ़े गिरते हैं...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-50585080223791865682011-06-03T22:26:50.949+05:302011-06-03T22:26:50.949+05:30यातना और याचना के बीच फँसा अस्तित्व। बहुत खूब सागर...यातना और याचना के बीच फँसा अस्तित्व। बहुत खूब सागर साहब।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-63338383148093938912011-06-03T20:58:53.812+05:302011-06-03T20:58:53.812+05:30आज़ाद बदन के मुल्क में तुमने जीने के लिए इतनी शर्त...आज़ाद बदन के मुल्क में तुमने जीने के लिए इतनी शर्तें दीं कि हम ताउम्र गुलाम रहे.<br /><br /><br />जम गयी ये बात तो...pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-45709810905661052692011-06-03T19:02:37.763+05:302011-06-03T19:02:37.763+05:30शीर्षक : http://podcast.hindyugm.com/2009/07/gul-h...शीर्षक : http://podcast.hindyugm.com/2009/07/gul-hui-jaati-hai-faiz-ahmed-faiz-abida.htmlसागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com