tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post5792446023470080670..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: रेड लाइट...सागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-11346970197021429892010-05-08T22:08:56.348+05:302010-05-08T22:08:56.348+05:30चक्रधर की कविता भी अच्छी लगी !चक्रधर की कविता भी अच्छी लगी !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-53498963899051938812010-05-07T13:35:33.695+05:302010-05-07T13:35:33.695+05:30घट गया सब कुछ वैसे ही.. हाँ पता नहीं जब भी कुछ करन...घट गया सब कुछ वैसे ही.. हाँ पता नहीं जब भी कुछ करना,सोचना चाहूँ तो लगता है आख़िरकार लेखनी के सिवा क्या है सब....आमिखाई की भाषा में "वे उस दर्द का भी दिखावा कर लेते हैं जो उन्हें सच मैं महसूस होता है"..... कई बार एक बहती नदी को देखकर महसूस किया कि मैं बहुत संतुष्ट हो रहा हूँ मगर इसे मुसलसल वैसा ही बहा बहा सा बनाने के तरीकों को इजाद करता हूँ नदी तो रहती है बस बहना बंद हो जाता है.... लगता है यह संवेदनशीलता यह अनुभव यह दृश्य कहने, या इनके चित्रों को क़ैद करने में ये और भयावह हो जाते हैं... जिसको हम जितनी भावुकता से रखते हैं,,बहती हुई नदी की तरह और पढने वालों के लिए नदी नहीं बस एक नदी का चित्र हो जाता है... इसी लिए कहा घट गया सब कुछ वैसे ही.... भयावह...!<br /><br />www.taaham.blogspot.comUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15395799318268435973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-47247026333030298002010-05-07T13:09:19.179+05:302010-05-07T13:09:19.179+05:30इतना सूक्ष्म और हृदयस्पर्षी अवलोकन! बहुत सुन्दर।इतना सूक्ष्म और हृदयस्पर्षी अवलोकन! बहुत सुन्दर।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-57874442968963114602010-05-05T17:22:12.286+05:302010-05-05T17:22:12.286+05:30ट्रैफिक सिग्नल बहुत सारी परते खोलती है.. फिल्म का ...ट्रैफिक सिग्नल बहुत सारी परते खोलती है.. फिल्म का गाना भी है.. यही ज़िन्दगी है तो क्या ज़िन्दगी है..<br /><br />कुछ समय पहले मैंने भी <a href="http://kushkikalam.blogspot.com/2009/01/blog-post_15.html" rel="nofollow">Tरेड लाईट</a> पर कुछ लिखा था.. पर वो इससे अलग था.. तुमने फिर इस बार चमत्कृत किया है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-36726067304675508502010-05-05T14:54:37.551+05:302010-05-05T14:54:37.551+05:30इस सिलसिले में एक फिल्म याद आती है, ट्रैफिक सिग्नल...इस सिलसिले में एक फिल्म याद आती है, ट्रैफिक सिग्नल. उसमें निर्देशक ने बड़े करीब से आइना दिखाया है इन लोगों की जिंदगी का. <br />आज तुम भी एक खाका खींचते हो...और बिलकुल सही कहा है 'दे भिखारी' आखिर उसको पैसे हम अपने मन की तसल्ली और शांति के लिए देते हैं. एक कचोट उठती है कि हम कुछ नहीं कर सकते, कई बार तो शर्म आती है. आज के ज़माने में लगता है कि एक दो रुपये से किसी का क्या होगा...कभी कभी लगता है कि संवेदनशील होना बहुत मुश्किल है...खुश रहने के लिए बड़ी मेहनत करनी होती है. <br />mac D से आते हुए कई बार अगर आइसक्रीम रहती है हाथ में तो ऐसे ही सिग्नल पर बच्चे मांग लेते हैं, दे भी देती हूँ...पर फिर कई बार आइसक्रीम खाने में ही अजीब सा लगता रहता है.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-24978009892801869202010-05-05T12:22:51.058+05:302010-05-05T12:22:51.058+05:30@ ओम आर्य
मोजजे- जो इंसानी ताकत से बाहर हों (डिक्श...@ ओम आर्य<br />मोजजे- जो इंसानी ताकत से बाहर हों (डिक्शनरी यही कहता है )<br />हम इसे मिरेकल भी कह सकते हैं... वाक्यों के साथ इसके कई अर्थ और भी बनेंगे...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-45132505370951515632010-05-05T11:49:01.987+05:302010-05-05T11:49:01.987+05:30गजरे वाली लड़की नीचे उतर कर भी मुझे लगातार देख रही...गजरे वाली लड़की नीचे उतर कर भी मुझे लगातार देख रही है... मैं बचने की कोशिश कर रहा हूँ पर लगता है यह निस्तेज कातर नज़र मेरी पीठ से चिपक गयी है.anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-39914335022287687702010-05-05T00:51:18.589+05:302010-05-05T00:51:18.589+05:30और हाँ..चित्र अच्छा लगाये हो..’महाजनो येन गते स पं...और हाँ..चित्र अच्छा लगाये हो..’महाजनो येन गते स पंथा’ टाइप..और मध्यमा्र्गी!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-79062868380331253222010-05-05T00:49:13.977+05:302010-05-05T00:49:13.977+05:30दुनिया के खेल भी निराले हैं.
अपनी नाफ़रमानियों के ...दुनिया के खेल भी निराले हैं.<br /><br />अपनी नाफ़रमानियों के अक्स भी नज़र आते हैं इसमे जिसे हम खेले-निराले कह कर कश मे उड़ा देते हैं..जब अप्रैल के तपते आस्माँ की जानिब सर उठा कर गरमी की राहते के तौर पर बारिश की दुआएँ करता था..तभी याद आता था कि कितने गरीब किसानों का पका हुआ गेहूँ खेतों मे खड़ा होगा..थ्रेशर्स के पास पड़ा होगा..मेरी बारिश की दुआ मे बह जाने से सहमा हुआ..निगाहेँ खुद-ब-खुद शर्म से जमीं मे गड़ जाती थीं..<br /><br />और नट के करतब दिखाने वाले बच्चे को भिखारी समझना जमता नही..भिखारी तो हम ही हुए ना..कला के भूखे पेट को चंद तालियों से टरकाते हुए..’दे भिखारी’अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-2461045549724848732010-05-04T23:23:55.120+05:302010-05-04T23:23:55.120+05:30"आँखों में बहुत बेबसी रोक रखी है उसने, तो क्य..."आँखों में बहुत बेबसी रोक रखी है उसने, तो क्या अब वो गिर जायेगी ? नहीं तो, जिसने पीठ पर अपना भाई भी बाँध हो, उसका ‘बाँध’ इतना कमजोर नहीं होगा!!!"<br /><br />सही कहते हो...<br /><br />"गजरे वाली लड़की नीचे उतर कर भी मुझे लगातार देख रही है... मैं बचने की कोशिश कर रहा हूँ पर लगता है यह निस्तेज कातर नज़र मेरी पीठ से चिपक गयी है."<br /><br />ये मेरे साथ अक्सर होता है.. जैसे नजरे चिपक जाती है..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-88679547478918090492010-05-04T22:07:56.210+05:302010-05-04T22:07:56.210+05:30अशोक चक्रधर जी का ज़वाब नहीं।
लेकिन हर भिखारी...अशोक चक्रधर जी का ज़वाब नहीं।<br />लेकिन हर भिखारी -भिखारी नहीं होता ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-24136283246654381802010-05-04T22:05:10.876+05:302010-05-04T22:05:10.876+05:30कहानी लिखने का हुनर बहुत अच्छे से आ गया है आपको......कहानी लिखने का हुनर बहुत अच्छे से आ गया है आपको...<br />जब आदमी को राह चलते कहानी दिखाई पड़ने लगती है तो वो सही में कहानीकार हो जाता है...<br />बधाई.<br /><br />वो अनुराग जी लिखे हैं 'मौजजे', इसका मतलब क्या होता है..उनसे पूछना भूल गया था भाई..ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-54177472855490098652010-05-04T20:40:37.424+05:302010-05-04T20:40:37.424+05:30bahut sundar chitran kiya kuch vivashtaon aur sama...bahut sundar chitran kiya kuch vivashtaon aur samajik udaseenta ka...chakradhar ji ki kavita man moh gayi...दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-57333803988363180182010-05-04T19:38:19.650+05:302010-05-04T19:38:19.650+05:30Yah to samaj ki vidambana hai..kahin qahat hai to ...Yah to samaj ki vidambana hai..kahin qahat hai to kahin sailab hai..kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.com