tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post7646367619306415713..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैंसागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-74225761714608585322011-06-26T21:36:44.298+05:302011-06-26T21:36:44.298+05:30"यह दुलर्भ है। नहीं मिलता है। हमें हर वो चीज़..."यह दुलर्भ है। नहीं मिलता है। हमें हर वो चीज़ नहीं मिलती है जो हमें मिलनी चाहिए। जिसकी बुनियादी जरूरत हमारी है। रोष यहीं से उपजता है। हमारे तर्क भी नहीं सुने जाते। एक अंधेरी सुरंग में लिटा कर बस छोड़ दिया जाता है। हम हाथ पांव मारते हैं। आवाज़ लगाते हैं। शायद सुरंग के मुहाने पर के उजाले तक हमारी आवाज़ पहंुचती भी हो। आवाज़ गूंजती है लेकिन तब पता लगता है कि कुछ आदमियों ने ही उस आवाज़ को दबा दिया। इस तरह संघर्ष वर्गों में बंट जाता है।"<br /><br />गज़ब फ़िलॉसफ़ी... एकदम पसंद आयी :-)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-86944037743093675372011-06-24T23:57:18.749+05:302011-06-24T23:57:18.749+05:30"अंधेरे में अंधेरा ज्यादा होता है"
बहुत ..."अंधेरे में अंधेरा ज्यादा होता है"<br />बहुत बढ़िया बात कही सागर भाई....देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-68171502807700617542011-06-24T04:51:44.413+05:302011-06-24T04:51:44.413+05:30नए दिन की शुरुआत पानी के संघर्ष से ... उस पर रख दि...नए दिन की शुरुआत पानी के संघर्ष से ... उस पर रख दिया है माइक्रोस्कोप इन शब्दों ने...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-44019496887437039402011-06-23T11:17:56.698+05:302011-06-23T11:17:56.698+05:30ऐसी बेचैन कितनी राते याद आ गई जो उमस में कटी थीऐसी बेचैन कितनी राते याद आ गई जो उमस में कटी थीsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-27800956150640095652011-06-23T09:42:42.137+05:302011-06-23T09:42:42.137+05:30पता है क्या....सारी बात पता थी ऐसा लगा..तुमने बता ...पता है क्या....सारी बात पता थी ऐसा लगा..तुमने बता दिया हमें बता दिया कि हमें पता है....स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-13804935223906451462011-06-22T21:37:19.337+05:302011-06-22T21:37:19.337+05:30Padhke man udaas ho aaya...Padhke man udaas ho aaya...kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-10747772203414950532011-06-22T19:33:58.875+05:302011-06-22T19:33:58.875+05:30ओर हमें गुलज़ार की एक नज़्म याद आ गयी.....इन कबूतरों...ओर हमें गुलज़ार की एक नज़्म याद आ गयी.....इन कबूतरों के मुताल्लिक !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-19246087169863972522011-06-22T17:52:57.110+05:302011-06-22T17:52:57.110+05:30बहुत से सवाल हैं जो सवालों के भीतर से निकलते हैं. ...बहुत से सवाल हैं जो सवालों के भीतर से निकलते हैं. जैसे निराशा के समानांतर कोई दो आँखें चल रही हो ऐसी आँखें जिन्हें बंद हथेलियों के बीच के अंधेरों में देखा जा सके.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.com