tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post8026653549269886214..comments2024-03-11T14:25:01.160+05:30Comments on सोचालय: शॉट डीविज़नसागरhttp://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-10220643934693364972013-03-24T06:56:40.175+05:302013-03-24T06:56:40.175+05:30जीवन को आनन्द मान कर जियें या दुख का अम्बार मान कर...जीवन को आनन्द मान कर जियें या दुख का अम्बार मान कर, जीना तो पड़ेगा ही। आत्महन्ता मनोवृत्ति कभी नहीं सुहायी है, बार बार स्वयं से फूट कर बाहर निकल आने की इच्छा होती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-44771945317575074042013-03-23T12:10:36.549+05:302013-03-23T12:10:36.549+05:30बहुत शुक्रिया राहुल सिंह जी. बहुत शुक्रिया राहुल सिंह जी. सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3688148429960405201.post-84033479970083854072013-03-22T23:16:07.771+05:302013-03-22T23:16:07.771+05:30और मुझसे एक दोस्त ने फोन पर पूछा कि प्यार क्या होत...और मुझसे एक दोस्त ने फोन पर पूछा कि प्यार क्या होता है? कलम में ज़ोर नहीं है तुम्हारे जो कह न बयां न कर सको एहसासों को.... लिखना भावुक काम नहीं निर्दयता का काम है। तुमने सुना तो होगा एक समुद्री डाकू के बारे में....<br /><br />मैं की हुई खून की ताज़ा उल्टी को हाजि़र नाजि़र जान कह रहा हूं यही होता है - प्यार।<br />सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com