दुःख जिंदगी के शतरंज का एक विलक्षण ग्रैंड मास्टर है जो एक साथ कई खिलाडि़यों को बखूबी होल्ड पर रखता है
मैं गली में चल रहा होता हूं कि चार हाथ दूरी पर खड़ी दीवार खिसक कर मेरी कनपटी के पास आ गई मालूम होती है। एक झटके वो घूम जाती है। अगली होशमंद सांस में अपने बिस्तर पर ले रहा होता हूं। मेरी पलकों से गर्म मोम पिघल कर गिर रही है। कमरे कर दरवाज़े पर जो परदा है दरअसल वो मेरी खाल है। ऐसा लगता है कि मेरी चमड़ी किसी तेज़ चाकू से उतार कर लटका दिया गया है। मैं अपने बीवी को खोजने की कोशिश करता हूं। जब मैं अपने पैताने देखता हूं वो बहुत फिक्रमंद नज़र आती है। प्रेम में हारी, समर्पित एक दासी, गहरे खुदे बुनियाद वाली बामियान की मूर्ति सी। वो मुझे बचाने की मुहिम में लगी हुई है। मेरा बायां पैर उसने दोनों हाथों से पकड़ बहुत करीने से उसने अपने दोनों स्तनों के बीच लगाया हुआ है। ऐड़ी फेफड़ों की नली पर है और तलवे बीच के खाली जगह पर।अंगूठे और कानी उंगलियों पर उसके दाहिने और बाएं उभार की सरहदों को मैं महसूस कर पा रहा हूं जो संभवत: उंगलियों पर ही आ गई मालूम होती हैं। मैं अपना सर उठा कर अपनी पत्नी को देखने की कोशिश करता हूं। चूंकि मुझे बिना तकिए के लिटाया गया है इस कारण मुझे अपना सिर उठाने में और भी तकलीफ होती है। जबकि मैं सारे ख्याल से आरी हूं, मुझे लगता है कि इस वक्त मेरी बीवी किन जज्बातों से तारी होगी।
मैं थोड़ा और होश में आऊंगा तो सोचने लगूंगा कि क्या वो सोच रही होगी कि आज के बाद से अब मुझे कोई कष्ट नहीं दिया जाएगा ? क्या मैंने एक ही झटके में उसके की हुई सारी जादतियों का बदला ले लिया है? क्या हम हमारे बीच के प्रेम की परीक्षा है जिसके दिव्य दर्शन मुझे हो रहे हैं ? क्या मैंने उसका अहंकार तोड़ दिया है और अपने इरादे में सफल हुआ हूं ? मेरी जिस बीमारी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल का मनोविज्ञान विभाग का व्याख्या करने में असफल हो रहा है और डाॅक्टर के तमाम आश्वासन के बाद भी मैं चेक-अप के बाद उसके मेन गेट पर गिर कर उसे इस दृश्य से रू-ब-रू करवा चुनौती देता हूं क्या मेरी पत्नी आंसू बहा कर उसे समझ पा रही है?
दुनियावी संसार में वापस आ, मैं उठ कर उसे दिलासा देना चाहता हूं कि अबकी मुझे हमारे ऊपर छत गिरता मालूम होता है।
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - अंजुरि में कुछ कतरों को सहेज़ा है …………ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteप्रेम की गहराई उन क्षणों में ही नापी जा सकती है, जब उनकी सर्वाधिक आवश्यकता होती है..
ReplyDeleteक्या मैंने उसका अहंकार तोड़ दिया है और अपने इरादे में सफल हुआ हूं ?
ReplyDeleteहर आदमी की सोच सार्वजनिक तरीके से कबूलने के लिए शुक्रिया सागर !
again a good post...
दुःख जिंदगी के शतरंज का एक विलक्षण ग्रैंड मास्टर है जो एक साथ कई खिलाडि़यों को बखूबी होल्ड पर रखता है।
ReplyDelete..इस शीर्षक को आलेख, सिद्ध करने में सफल हुआ है।