जी हां! रात भर रोने और न सोने के बाद के बाद मैं आपके सामने फिर से तैयार हूं। और अभी इस वक्त जो पूरे घर में नंगे पैर घूम कर आ कर पलंग पर बड़ी बेतकल्लुफी से इस तरह बैठी हूं कि पैर न पलंग पर हैं न ज़मीन पर। आपको मेरे मैले हो आए पर तो नज़र आ ही रहे होंगे जो लगी मेंहदी के साथ कुछ इस तरह घुल मिल गई है कि कल की लगी मेंहदी हफ्ते भर पुरानी हो आई है। अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि मेंहदी की सजावट इन मैले तलवों में कहां गुम हो गई है। एक मिनट, क्या आप बता सकते हैं रंग ज्यादा किसका नुमाया है मेंहदी का या मैलेपन? आपको मालूम है जिंदगी में हर स्तर पर लड़ाई चलती रहती है? आपको पता तो होगा ही लेकिन आप यह जानकर हैरान होंगे कि मेरे तलवों पर भी लड़ाई हो रही है और यह बात एक होने जा रही दुल्हन से ज्यादा बेहतर कौन समझ सकता है?
चलिए कोई और बात करते हैं। हम मनुष्य बड़े सपनीले होते हैं। ये सपनीले भी कैसा शब्द है। इस शब्द में भी नीले रंग हैं। मेरा एक स्वाभाविक सा सवाल यह है कि हमें इतने हाथ पांव मारने की जरूरत किसलिए पड़ी? आप कोई यथार्थ भरा नया शब्दकोश क्यों नहीं गढ़ते? ठीक है भारत बहुत अतीत में बहुत समृद्ध देश रहा होगा। आहूति की वेदी पर जलती हुई अग्नि में जी भर कर घी, दूध, जौ स्वाहा किए जाते होंगे। क्या आपको अपने देवता पर तरस नहीं आती। कितना खाता है हमारा देवता !कितना भूखा! लेकिन ठीक ही तो है जैसा राजा वैसी प्रजा। आप कुछ खाएंगे ? भूख तो लगी होगी आपको! भूख भी कैसी चीज़ है। क्या आप मेरी इस बात से सहमत हैं कि ईश्वर ने आदमी में शाॅट टर्म प्लान के रूप में भूख का इन्वेस्टमेंट किया है।
मैं बहुत खूबसूरत दिख रही हूं न आपको। दो रातों की जागी बेहद थकी आंखें और मेरा अलसाया बदन। आपके सौंदर्यशास्त्र की दाद देनी होगी। हां देखिए मैं भी ऐसा महसूस कर रही हूं कि किसी आठ साला लड़के के कंधों को अपनी इस थकी बाहों के पकड़ लूं और इसी पलंग पर उसके साथ मज़ाक करूं। इसके लिए मेरा सबसे छोटा भाई ठीक रहेगा। कल तक जो मुझे इसी पलंग पर से पढ़ते हुए बिना दुपट्टे घर में झाड़ू लगाता देखता था। उसे भी अलग सा लगेगा। खुद पर आत्ममुग्धता की यह स्थिति कि इसके बाद भी अकेलापन देख कर मैं अपने कानों के झुमके हिला देती दूं। आईने के पास से गुज़रती हूं तो एक बार खुद को देख ही लेती हूं।
एक्सक्यूज मी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि आप मुझसे बात करने से बचना चाहते हैं। क्या कहा नहीं? शायद आप अनमने ढं़ग से बोल रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे आपकी ही पोल खुल रही है। उम्र के इस दौर में जब आपकी जवानी जाने को हो रही होती है, दहलीज पर अधेड़ावस्था इंतज़ार कर रही होती है लेकिन आपने अपने भोगे हुए समय को इतना बुलंद बना चुके होते हैं कि मेरे हल्के घिसे हुए तलवों की तुलना से पहले आपको कत्थई शलगम और फिर सत्रह साला जवान हो रही लड़की के वक्ष याद आते हैं। बस अकेलापन मिलने की बात है मैं जानती हूं आपकी कल्पनाशक्ति से सब संभव है। आप मेरे इन तलवों के आस पास ही रोएं उगा देंगे और बेतहाशा चूमने लगेंगे। यकीन दिलाने की कोशिश करेंगे कि यही वक्ष है। आपके दिल में कौन रहता है जिसे आप इतना यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं। वो क्या होता है कि किसी उम्र में आप किसी पेड़ के पास से गुज़रते हुए भी आप उसके पत्ते तोड़ कर अपने किसी जेब में सीधे सीधे रखने की कोशिश करते हैं।
अब आपको तमाम पूजा पाठ के बाद भी ईश्वर पर यदा कदा भी गुस्सा आ ही जाता होगा कि उसने आपको बूढ़ापे की ओर क्यों धकेल दिया। हममें से कितने लोग होते हैं जो इसके लिए तैयार होते हैं? आप हमेशा जवान नहीं रह सके मुझे इसका बहुत अफसोस है। मैं आपका बिगाड़ तो कुछ नहीं सकती लेकिन ज़रा एक मिनट समय निकालकर बताएंगे कि आपका ये तथाकथित ईश्वर इतना खराब कारपेंटर क्यों है जो प्यार की कील दिमाग में सीधे सीधे हाइल भी नहीं कर सकता? हाय तुम्हारा असमर्थ भगवान। और तो और प्यार की कील (आपने अफवाह फैलाई है कि प्यार बड़ा गुलाबी, रूमानी और रूमाली होता है) ये अंदर जाने किन किन नसों में ठुक जाती है।
ईश्वर इतना खराब कारपेंटर क्यों है जो प्यार की कील दिमाग में सीधे सीधे हाइल भी नहीं कर सकता?
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