मेरा कान है और फोन पर उसकी आवाज़ है। उसकी प्रवाहमयी क्रिस्टल क्लियर आवाज़। पर मेरे कान की श्रवण शक्ति जैसे मेरे शरीर में घूम रही है। वह मुझसे मुखातिब है लेकिन सुनती मेरी कलाई है। इस बात को उसने मेरे घुटने की हड्डी से कहा है। उसकी उस बात पर मेरे पैर के बाएं अंगूठे ने प्रतिक्रिया दी है। ये वाक्य कोहनी ने लपकी है और उसकी इस बात ने मेरे नाभि को चूमा है। अबकी उसने मेरी आंख से कुछ कहा और अब तो अब मुझसे भी बाहर जा चुकी है, देहरी पर सुस्ताता धूप भी यकायक उठ कर बात तो रसोई में तिरछी होकर घुस आई है। तकनीकी रूप से कोई बैकग्राउंड शोर नहीं है मगर पृष्ठभूमि में कुछ अन्य शोर हैं। हम अपने अपने कुछ काम निपटाते जा रहे हैं। बैकग्राउंड में सिंक में धुल रहे बर्तन की आवाज़ है, वह पानी का शोर सुनती है और कुछ देर के लिए चुप हो जाती है। उस ओर भी कोई फेरी वाला आवाज़ लगा रहा है, वह खुद बीच बीच में अपनी मेड को कुछ बता रही है, मैं चुप हो जाता हूं। हमारे हलचल साझा हो जाते हैं। किसी के प्यार में होना अच्छा है लेकिन मज़ा तब है जब वह संपर्क में न हो। मैं वहीं रहता है जहां मुझे पिछली दफे छोड़ा गया था। जीवन में एक दिन
I do not expect any level of decency from a brat like you..