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Showing posts from January, 2014

फिलहाल सिसकी......

अजीब बात है। आप किसी से कहां तक नाराज़ रहोगे, इस ज़माने में। नारियल का सा तो दिल है आपका। अंदर से श्वेत और कोमल और ऊपर से इगो। ऐसे में गर नाराज़ होते हो तो तुम्हारी मर्जी। हो जाओ। न तुमसे वो राब्ता रखेगा कि तुम अपनी नाराज़गी उस तक पहुंचा सको। न तुम गुस्से के मारे उससे वास्ता रख पा रहे होगे। इससे ज़ाहिर ही न कर सकोगे। तो बहुत दिनों बाद घुमाफिरा कर बात वहीं पहुंचेगी कि तुम्हें मुस्कुराना ही पड़ेगा। कितनी शिकायतें कहां तक पालोगे? लेकिन अपने दिल में कहां से क्या तक सोचते फिरोगे? खाने का निवाला, च्वइंगम जैसा लगेगा और लिथड़ता जाएगा जो कि हलक के नीचे उतरने का नाम  नहीं लेगा। ख्याल आएगा तो पानी का एक बड़ी घूंट लेकर उसे बस जैसे तैसे नीचे धकेल दोगे। पेड़ के पत्तों के गुच्छे के नीचे का अंधेरा अपने मन जैसा लगेगा। बाहर का धुंधला कोहरा कहेगा कि देख मैं तेरे मन का प्रतिबिंब हूं। इस कदर तुम्हारे दिलो दिमाग पर काबिज़ हूं कि कुछ भी साफ नहीं  है। सोच का समंदर दूर, बहुत दूर तक हिलकोरे मारेगा। एक लहर उठेगी और कहेगी - निकाले फेंक उसका ख्याल दिल से। दूसरी कहेगी कि होता है, उसे एक मौका और दे। तीसरी कहेगी, ऐसा पहले भी

नदी में बंसी डालकर हमारे हौसले न तौलो

मैं बूढ़ा हो रहा हूं। इस बात की तसदीक कई लोगों ने की है। शायद अब ऊंचा सुनने लगा हूं। आज सुबह से सीने में बायीं तरफ दर्द हो रहा है। कृषि वसंत के स्पोट्स जो मैंने लिखे हैं, इसके लैवेंजेस की आज रिकॉर्डिंग हो रही है। स्क्रिप्ट अनुवाद करने वाले वाइस ओवर आर्टिस्ट तरह तरह के शब्दों को समझने के लिए मेरे पास आ रहे हैं। मैं डर जाता हूं। इतनी जिम्मेदारी से कभी काम नहीं किया और ये सब आखिरकार ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट का मामला है। मैं गुमनाम होकर काम करने में यकीन करता हूं। एक मास्टर स्पाॅट लिख दिया, उसके पैसे मिल जाएं, बस।  लेकिन ये गली आगे जाकर चैड़ी होती जाती है तब होंठ सूखने लगते हैं। जिम्मेदारी से भागने वालों में से हूं इसलिए इन सब कामों की जवाबदेही अपने ऊपर नहीं लेना चाहता। इससे उम्मीदें बढ़ती हैं और उन्हें पूरा करने में लग जाता हूं। सबकी आंखों का तारा बन जाता हूं। लोग मुझमें एक नया रूप देखने लगते हैं। तब लगता है वे मुझे रि-डिस्कवर कर रहे हैं। उनकी आंखों में अपने लिए एक इज्ज़त, खुद को लेकर एक हैरत अंदाज देखने लगता हूं। फिर एक दौर ऐसा भी आता है जब एक निहायत छोटी मगर बड़ी गलती कर जाता हूं.....