एहसास में बने रहने का नाम जिंदगी है वरना तुम पत्थर हो। गलतियां करो, और पछताने से ज्यादा रोया करो। उस शाम जब तुमने जब ये कहा था झील में किसी ने पत्थर फेंका था, कुछ पानी दो गुच्छे ‘टुभुक’ की आवाज़ के साथ उछले थे। बात सच्ची थी। मुझे अब भी याद है। दिन भर की हंसी मजाक के बाद यह पहली गंभीर बात तुमने कही थी जो तुम्हारे हिसाब से दिन का पहला मजाक था। तुम्हारे मंुह से जब भी इस तरह की बात निकलती थी, तुम हथेली से मुंह दाब कर बेतहाशा हंसती थी। अचानक से तुम्हारे ऐसा बोलने के बाद भी तुम आदतन हंस हंस कर दोहरी होने लगी थी। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक जो लम्हे को जी कर आगे बढ़ जाते हैं, उन लोगों के लिए जो इसे अपने मन में टांक लेंगे। दूसरे टाइप के लोग पहले में ही आ गए। तुमने यह बात जब मुझसे कही थी तो मेरे दामन से उम्मीद का आखिरी सिरा भी छूट रहा था। मैंने भी आदतन तुम्हारी इस बात को नहीं माना। इस मामले में भी दो तरह के लोग होते हैं। एक समझाने मात्र से समझ जाने वाले। और दूसरा टाइप वाले में मैं हूं - मुझे ठोकर खाने, खाते जाने, चीज़ों को उसके हाल पर छोड़ देने और अगर हो पाया तो समय हाथ
I do not expect any level of decency from a brat like you..