लौटना पहले भी हुआ था जब उसका पीछा करते करते उसके घर पहुंचा था, ग्रिल को पकड के उसे एक मौन आवाज़ दी थी. लड़की तब भी नहीं पलटी थी. करना तो प्यार था, लेकिन शुरुआत दोस्ती से भी हो जाए तो क्या बुरा है. मगर ये कहने में ही चेहरा लाल हो आया. भरे बाज़ार जब हाथ में एक कागज़ ले कर यह कहा तो चेहरे पर की आग से हाथ के कागज़ पिघल गए. हाथ के कागज़ प्यार के ख़त थे लेकिन इस वक्त किसी थर्ड क्लास सिनेमाघर की बेहद सस्ती सी टिकट लग रहे थे जो हथेली के पसीने में ही गल जाते हैं. सबसे महान प्रेम सबसे सस्ते तरीके से शुरू हो रहा था. XXXXX उस सदी में पटना की सड़क पर ऑटो हिचकोले खाते हुए चलते. बोरिंग रोड पर के मुहाने पर के रेस्तरां में लड़का पहली बार डेट पर था. टिप से वास्ता ना था लेकिन दोस्त ने बताया था की कुछ पैसे प्लेट में छोड़ देना. बहरहाल दोनों ने आंचलिक भाषा में बात करते हुए विश्व कवियों की भाषा को मात दी. छोड़ना वो कुछ भी नहीं चाहते थे मगर सब छूट रहा था. सीट पर लड़की के कुल्हे की गर्माहट से लेकर, वेटर को दिया गया ऑर्डर तक... उस सदी का फलता हुआ इतिहास, भूगोल जब अब इतिहास है. XXXXX हिचकोले खाते सड़क
I do not expect any level of decency from a brat like you..