बात 2005 की है। फाल्गुन का ही महीना चल रहा था। खेत में सरसों झूमते थे। धूप नहीं भी होती तो लगता धूप के छाया की हल्की पीली पतली परत की चादर खेत में अपना शामियाना डाले रहती। इन दिनों हवा बावरी होनी शुरू हुई थी। हवा नीम के पेड़ पर उसके पत्तों के झुटपुटे में हमला करती... अंदर समाकर अंधड़ गोल होकर घूमती। एक अंधड़ सा उठता और और फिर उसी में गुम होकर खो जाती। स्वेटर का मौसम खत्म हुआ जाता था। हवा में ताज़गी थी मगर कहीं से भी ठंड नहीं लगती थी। फिलहाल शाम के पौने सात बजे थे। अंधेरा था। रोशनी के नाम पर करीब बीस मीटर की दूरी पर एक मकान के छज्जे पर लगी चालीस वाट की नियॉन बल्ब का हल्का पीला प्रकाश था। महक मेरे सामने कुछ कदमों की दूरी पर आदतन क्रॉस लेग्स की मुद्रा में हल्के तिरछे होकर प्लास्टिक पाइप से बुनी कुर्सी के घेरे में फूल के मानिंद हौले से रखी हुई थी। नारंगी रंग के शॉर्ट कुरते में एक सांवली लड़की जिसका गला वी आकार में कटा हुआ था। हल्के नीले रंग के लांग स्कर्ट में लिपटी.... जब हवा चलती तो जैसे स्कर्ट पूरी तरह उसके पैर से लिपट कर पनाह मांगती..... और तब मुझे उसकी टांगों की लंबाई का सही सही अं
I do not expect any level of decency from a brat like you..