निचाट गर्मी की रात है। बगलों से पसीने की धार बहती रहती है। सुबह बनी रोटी ढक कर शाम तक रखने से बदबू आने लगती है। हर कोई पस्त है। मौसम न हुआ एक लाल पका पपीता हो गया, सबके दिमाग पर इसका असर चढ़ा रहता है, कोई किसी से ठीक से बात नहीं कर पाता। चिढ़ कर जवाब दिए जाते हैं तुर्रा यह कि किसी को टोकना भी उस पके फल में कौवे के चोंच मारना जैसा लगता है। पंछी ने चोंच मारा नहीं कि आधे से ज्यादा गूदा ज़मीन पर... मतलब अप्रत्यक्ष एक क्रिया इस कदर हावी है कि उसकी होती प्रतिक्रिया बहुत है। ऐसे में छत पर सीमेंट जमाई हुयी एक सीट है। उस पर लड़की बैठी है। शादी में छह दिन बाकी हैं। बिल्कुल खुला आकाश है। आकाश की पीठ पर तारों का जमघट है। ऐसा लगता है उनमें एक दूसरे पर चढ़ने की होड़ है और इसी चक्कर में वे दीवाली के समय के कीड़ों के तरह अपनी सतह से गिरते जा रहे हैं। प्रेमी युगल इस नज़ारे को देख कर हैरान हैं। वे चकित हैं कि आखिर इतने सारे तारे ज़मीन पर एक ही रात कैसे गिर रहे हैं! पिछले घंटे में ही लगभग चौदह तारे गिर चुके हैं। अपनी 28 बरस की उम्र में उसने कल तक बमुश्किल कुल चौदह तारे गिरते देखे होंगे। रू
I do not expect any level of decency from a brat like you..