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Showing posts from January, 2012

एसबेस्टस की छत पर बारिश जोरदार होती है फिर भी मछलियाँ अधूरी प्यास मरती हैं

निचाट गर्मी की रात है। बगलों से पसीने की धार बहती रहती है। सुबह बनी रोटी ढक कर शाम तक रखने से बदबू आने लगती है। हर कोई पस्त है। मौसम न हुआ एक लाल पका पपीता हो गया, सबके दिमाग पर इसका असर चढ़ा रहता है, कोई किसी से ठीक से बात नहीं कर पाता। चिढ़ कर जवाब दिए जाते हैं तुर्रा यह कि किसी को टोकना भी उस पके फल में कौवे के चोंच मारना जैसा लगता है। पंछी ने चोंच मारा नहीं कि आधे से ज्यादा गूदा ज़मीन पर... मतलब अप्रत्यक्ष एक क्रिया इस कदर हावी है कि उसकी होती प्रतिक्रिया बहुत है। ऐसे में छत पर सीमेंट जमाई हुयी एक सीट है। उस पर लड़की बैठी है। शादी में छह दिन बाकी हैं। बिल्कुल खुला आकाश है। आकाश की पीठ पर तारों का जमघट है। ऐसा लगता है उनमें एक दूसरे पर चढ़ने की होड़ है और इसी चक्कर में वे दीवाली के समय के कीड़ों के तरह अपनी सतह से गिरते जा रहे हैं। प्रेमी युगल इस नज़ारे को देख कर हैरान हैं। वे चकित हैं कि आखिर इतने सारे तारे ज़मीन पर एक ही रात कैसे गिर रहे हैं! पिछले घंटे में ही लगभग चौदह तारे गिर चुके हैं। अपनी 28 बरस की उम्र में उसने कल तक बमुश्किल कुल चौदह तारे गिरते देखे होंगे। रू

खुदा मिला ना विसाल-ए-सनम

पॉजिटिव  बातें सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि वे गा, गे, गी से भरी हों। गा, गे, गी का वाक्यों में लग जाना चार चांद के लग जाने के बराबर हैं। गा, गे, गी महज़ एक राग नहीं है बल्कि एक ख्वाब है। आदमी मुस्कुराने लगता है। जिंदगी में कुछ अच्छा हो ना हो  पॉजिटिव   बातें आदमी को खुश रखती हैं। अब जैसे आज हमारे दफ्तर में लाईट नहीं है। एक स्पष्ट सा उत्तर है मरम्मत चल रहा है अतः शाम तक बिजली आएगी। लेकिन अगर आप यह बात कह दें तो बुरे नज़रों से देखे जाएंगे। यू डैम फूल, तुम्हें व्यावहारिकता अपनानी चाहिए और कहनी चाहिए कि एक घंटे में लाइन आ जाएगी। यह सुनने में अच्छा लगता है। अच्छा सुनना एक तरह का प्रवचन है जो आश्रम वाले साधु, सज्जन आपके डिमांड पर देते रहते हैं। आप सप्ताह भर घोषित रूप से गलत काम कर लें और इतवार को आश्रम जा कर मीठे बोल वचन सुन लें तो आपके दिल का बोझ हल्का हो जाता है। एंड यू विल डेफिनेटली फील रीलैक्ड। आपको अपनी नन्हीं नन्हीं आंखों में जीवन के सूक्ष्म मर्म नज़र आएंगे। आपको लगेगा कि आज हमने कुछ एचीव किया। यह रात तक आपको लगता रहेगा। और सोमवार से फिर आप बुरे काम के लिए

मेरी पीठ पर एक तिल है, अंदाज़ा लगाओ तो फिसल जाता है

लिखने के लिए आज मैंने तमाम तरह के नुस्खे आजमाए। घंटों सूनेपन के कोलाहल में बैठा रहा। यू-ट्यूब पर कई तरह के आक्रामक और सेंटीमेंटल वीडियोज़ देखे। एक लाइनर के मुताल्लिक सोचा और सोच कर यह पाया कि सलीम जावेद ने अपने मेहनत और अनुभव के वन लाईनरर्स अमिताभ के मुंह से जब बुलवाया होगा तो कितना दर्द होता होगा! मीर, गालिब के शेरों को आधा पौना करके देखा। बचपन याद किया और चाहा कि स्मृतियों से ही उठा कर कुछ लिख टंटा खत्म करूं। और तो और मैंने अपने ज़ख्मों को भी च्यूटी काटी साहब कि कोई तो तड़पो, कुछ तो दुखो, तमाम तोहमतों, जिल्लतों, मान-अपमान-सम्मान को याद किया। अपनी तो अपनी गैरों की प्रेमिकाओं को याद किया। जब उनकी नर्म, गुदाज़ बाहों के बारे में सोच कर कुछ न बना तो बेवफाईयों को याद किया। वस्ल ने काम ना दिया तो विरह का दामन थाम लिया। किसी भोले, मासूम बच्चे की आंखों में भी झांक लिया। लेकिन सब के सब धरे रह गए। ऐन वक्त कोई काम ना आया और मैं खुद को उत्तेजित करने में असफल रहा। सुबह पार्क में भी बैठा था, पेड़ों, फूलों, पत्तियों से नए और घिसे हुए मानी तलाश करने की भी कोशिश की। किसी बस के साथ-साथ तक द

दुःख जिंदगी के शतरंज का एक विलक्षण ग्रैंड मास्टर है जो एक साथ कई खिलाडि़यों को बखूबी होल्ड पर रखता है

मैं गली में चल रहा होता हूं कि चार हाथ दूरी पर खड़ी दीवार खिसक कर मेरी कनपटी के पास आ गई मालूम होती है। एक झटके वो घूम जाती है। अगली होशमंद सांस में अपने बिस्तर पर ले रहा होता हूं। मेरी पलकों से गर्म मोम पिघल कर गिर रही है। कमरे कर दरवाज़े पर जो परदा है दरअसल वो मेरी खाल है। ऐसा लगता है कि मेरी चमड़ी किसी तेज़ चाकू से उतार कर लटका दिया गया है। मैं अपने बीवी को खोजने की कोशिश करता हूं। जब मैं अपने पैताने देखता हूं वो बहुत फिक्रमंद नज़र आती है। प्रेम में हारी, समर्पित एक दासी, गहरे खुदे बुनियाद वाली बामियान की मूर्ति सी। वो मुझे बचाने की मुहिम में लगी हुई है। मेरा बायां पैर उसने दोनों हाथों से पकड़ बहुत करीने से उसने अपने दोनों स्तनों के बीच लगाया हुआ है। ऐड़ी फेफड़ों की नली पर है और तलवे बीच के खाली जगह पर।अंगूठे और कानी उंगलियों पर उसके दाहिने और बाएं उभार की सरहदों को मैं महसूस कर पा रहा हूं जो संभवत: उंगलियों पर ही आ गई मालूम होती हैं। मैं अपना सर उठा कर अपनी पत्नी को देखने की कोशिश करता हूं। चूंकि मुझे बिना तकिए के लिटाया गया है इस कारण मुझे अपना सिर उठाने में और भी तकलीफ होती