जुदाईयों के जंगल हैं। नज़र के इस छोर से दूर औकात तक विचित्र अनगिन प्रजाति के वनस्पति हैं। कुछ अंतराल सपाट मैदान हैं। पेशाब किए जाने के बाद जूझता घास का पीलापन है। बीच से गुजरती छोटी लाइन की सीटी है। सालों से कार्य प्रगति पर है का बोर्ड लगाए सुस्ताते और हवा में तिरते, भूले से भटके और कभी किसी सोचे समझे शातिर मुजरिम की चाल कर बिसरे से लय पकड़ते, तंबाकू खाते, जानबूझ कर छींकते, कभी सिसकारी तो कभी अंगुलियां क्रास कर ज़मीन पर तीन लकीर खींचते, तो कभी गैरतमंद सा पसीना पोंछते, मुंह ढंके शिकायत और तौबा करते गैंगमैन हैं। बीड़ी पीते सुख बांटने की धुन है। सबका सबसे ज्यादा रोना है। मेहनत से उगाया हुआ सत्य है कि इरादतन पाॅजीवीटी की शुरूआत तब हुई जब सामने वाला हमसे ज्यादा रो रहा था। उनके रोने से हम मजबूत हुए और हिम्मत बढ़ाने लगे। एक पैर का दर्द असह्य होने को चला तो दूसरे को लहूलुहान कर लिया गरज ये कि पहले पैर के दर्द से निजात मिले। कम से कम ध्यान तो भटके ! अंधेरे में किसी का चेहरा पकड़ा और गीली मिट्टी में ढाल दिया। बूढ़ी हथेलियों से गले को गुंथा गया फिर कई शक्ल बने। अनुभव ने कई बार हलाल किया। आ
I do not expect any level of decency from a brat like you..