डियर सर, जो एक गुमनाम चिठ्ठी आज सुबह लेटर बाॅक्स की अंदरूनी दीवार से होकर नीचे गिरी है, उस पर धुंधली सी अर्द्धचंद्रकार मुहर बताती है कि वह जंगपुरा डाकघर को कल दोपहर प्राप्त हुई है, जैसा कि रिवाज़ और कहावत है कि लिफाफा देखकर ही खत का मजमून जान लेते हैं तो प्रथम दृष्ट्या अनुमान यह लगता है कि यह चिठ्ठी आपके किसी जानने वाले ने ही आपको भेजी है, स्पष्ट है कि प्रेषक का नाम इसमें कहीं नहीं लिखा जो कि जानबूझ कर किया गया लगता है, लेकिन जोड़ना चाहूंगा कि ऐसा कर प्रेषक अक्सर यह समझते हैं कि वे पहचान में नहीं आएंगे लेकिन होता इसका उल्टा है। बस फ्राॅम वाले काॅलम में घसीटे हुए अक्षर में एम का इनिशियल लिखा है जो आगे चलकर आर में बदल गया है। लेकिन सर, मैं जानता हूं कि हम भारत में हैं और आप जेम्स बांड नहीं हैं जिससे यह ज्ञात हो कि यह खत आपके बाॅस का है। वैसे भी आपकी बाॅस आपको खत भेजकर बुलाने से रही (वो आपको आधी रात निक्कर में ही आपको अपनी गाड़ी में उठाकर आॅफिस लाने का माद्दा रखती है) पीले रंग की लिफाफे में जोकि अंदर से प्लास्टिक कोटेड है जो यह बताता है कि कोई ऐसे अक्षर उनमें लिखे हैं जिसे कि बारिश-
I do not expect any level of decency from a brat like you..