पुराने किले से सदा आती है। हवा उन दीवारों को छूते हुए आती है, किसी घुमावदार सुरंग तो तय करती। हवा इनमें जब भी घुसती या निकलती है मानो को काई अजगर पैठ या निकल रहा हो। बहुत सारा वज़न लिए। मुहाने पर निगरानी करता नीम का पेड़ बारिश का पानी पी कर मदमस्त हो चला है। तने ऐसे सूजे हैं जैसे किसी नींद में एक पुष्ठ छाती वाली औरत लेटी हो जिसके बच्चे ने उसका ब्लाउज सरका दूध मन भर पिया हो। xxxxx पीपल के पत्ते की तरह नज़र आते हैं कुछ लोग। अपनी जगह पर हिलते, हवा के चलने पर सरसराते। हवा कोई खबर लिए पेड़ में घुसती है और तने को पनघट मान सारे पत्ते एक दूसरे से सटकर वो खबर सुनने गुनने लगते हैं। ये बड़े क्षणिक पत्ते हैं। जीते जागते हुए भी एक मरियल हथेली से। अपनी जड़ों से तुरंत उखड़ आने वाले। एक दिखावटी टा टा करता, हिलता कोई हाथ। पलट कर देखो तो ऐसा ही लगे कि किसी अपने की तलाश में पराए घर में आया था। मेहमान होते हुए खुद खर्च किया और जाते वक्त पूरा घर लाज लिहाज के मारे हाथ रूख्स्त कर रहा हो। xxxxx एक दयनीय सी स्थिति यह है कि हमारे चारो ओर दलदल है, पीठ के नीचे कांटे हैं, दिमाग में रेंगता कोई तलाश है और
I do not expect any level of decency from a brat like you..