नीले घेरे वाले उजले सर्चबॉक्स मैंने लिखा ‘एस’ तो चार पांच परिचित दोस्तों के नाम छन आए। छठा जो है वो तुम्हारा चेहरा है जो कुछ क्षण में ही तुम्हारे फोटो अपडेट करने के बायस बदल जाता है। मैंने अक्सर उस छठे पर क्लिक करके तुम्हारे पेज पर जाता हूं। शुक्र है मेरी जानकारी में ऑरकुट की तरह फेसबुक अब तक यह नहीं बता रहा कि रिसेंट विज़िटर कौन कौन है? बदलते दौर में चीज़ें अब गोपनीय नहीं पाती। सबको हमारा अता पता मिल जाता है। डाटा सुरक्षित नहीं रही। मेरे ई-मेल पर अक्सर वियाग्रा वाले अपना प्रोमोशनल ऐड भेजते रहते हैं। कहने को यह बल्क मैसेज है लेकिन अगर गौर किया जाए तो समझ में आता है कि कोई खिड़की है जहां से कुछ रिसता रहता है। अगर कभी ऐसा हो असली जीवन में भी कि लोग देख सकें कि हमारे मन की खिड़की में रिसेंट विज़िटर कौन है तो रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता है। खैर छोड़ो....मैं भी कितना वाहियात आदमी हूं कहां से कहां बह जाता हूं। मैं तो यह कह रहा था कि पिछले कुछ दिनों में तुम्हारे पेज पर इतना बार गया हूं कि छठा पायदान एक एक सीढ़ी ऊपर चढ़ता हुआ नंबर एक बन गया है। अब आलम यह है कि सर्चबॉक्स में अब अगर ‘क
I do not expect any level of decency from a brat like you..