शाम का वक़्त है। दरगाह से अजान की आवाज़ आ रही है। अगर अजान का सुनना भी खुदा में यकीन रखना है तो मैं पांच वक्त का नमाजी हूं। यदि गिनना ही आधार हो तो खुदा तो पांच वक्त के लिए हुआ। इस आधार पर तुम कितने वक्त की हुई ? और जब नहीं हुई तो मेरे शरीर में बयानवे प्रतिशत महक तुम्हारी बच गई है। बाकी के आठ प्रतिशत बदन के भीगे प्यार के वायरस से लड़ेगा। चिंता की बात बस यह है कि इन दिनों अल्पसंख्यकों की प्रतिरोधी क्षमता भी कम है। कुछ इस तरह कि अब खुद को बस यकीन दिलाने के लिए संभोग के दौरान तुम्हारे आवाज़ में कुछ बुदबुदाने लगता हूं। नहाने से पहले कपड़े उतार कर पाता हूं कि उनमें एक दो कपड़े तुम्हारे हैं।
मैं अपनी छाती पर तुम्हारा स्तन महसूस करता हूं।
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ज़रा एक मिनट ठहर कर विश्वास कर लूं कि यह मेरा दिल है जो पूंछ कटी छिपकली की तरह मंच पर छटपटा रहा है। यह सांप न जाने कैसे इस भली बस्ती में आ गया जहां देखे जाने के बाद अंतिम पंक्ति लिखे जाने तक लोग उसे अधमरा कर उस पर मिट्टी तेल डाल उसका नृत्य देखने में तल्लीन हैं। बस एक मिनट! ज़रा मैं भी अपनी दुर्दशा देख लूं। असल में मैं बड़ा खिलाड़ी किस्म का रहा साहब। दांव पेंच के फन में इतना माहिर कि अब भी मुझे मेरा खत्म होना बस एक तमाशा लग रहा है। इसलिए बस इसलिए एक मिनट।
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वक्त की सड़क पर प्यार की कार फिसलती है। यात्रा इतनी सुखद जैसे रबड़ की सड़क थी या फिर किसी ने कार उठा कर गंतव्य स्थल पर रख दिया हो। विरह का रास्ता पैदल का होता है। इसमें सवार ही चालक होता है जो दुनियादार नहीं होता। कमसिन युवतियों के जांघों पर संयम के रखे हाथ एक दिन बबूल के कांटों में एक शोरोगुल भरे मुहल्ले से लापता पतंग की तरह लटके मिलते हैं।
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देखते हैं जाने कितने दृश्य! फिर भी अंधे रहते हैं। जो जितना देखते हैं अंधे होते जाते हैं। देखना एक भूख है। लत लग जाती है तो अंतराल घटता जाता है। इस तरह अंततः देखना अंधा होता जाता है, हो जाता है।
किसी का न होना एक सीधा मार्ग है वहीं बहुत कातिल होना सड़क का एक टी -प्वाइंट। यह एक घोषित संवेदनशील क्षेत्र है जहां प्रेम की दुर्घटना की संभावना सबसे ज्यादा है।
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मस्त लिखा है!
ReplyDeleteकुछः ऐसा जैसे भीतर छुरी घोंप कर बहते खून की गर्माहट पर लिखना...
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