भाई सा’ब आपने उनका हंसना सुना?
हंसती है तो लगता है मानो हलक में छोटी छोटी मछलियां फिसल रही हैं। लगता है गले में कोई गीला गीला रंदा लगा पैड लगा है। नारियल का खोईया। अलगाते चलिए। जाने कहां जाकर, कितनी तहों में फल मिले।
वह इज़ाडोरा डंकन की तरह जीवन में आ कर दस्तक दे जाती है। उसका गला अब तक कुंवारा है।
वो इस तरह हंसती हैं जैसे सरकारी स्कूल में आप पड़ोस वाली सहपाठी के रानों पर मोटी मोटी च्यूटियां काटते हैं। जैसे हंसी समेटते समेटते दांतों के बांध को तोड़ बिखर गई हो। जैसे पारखी मजदूरिन खुदे खेत से भी घाघरा भर आलू निकाल लाए।
स्पंजी गालों में थरथराता भंवर बनता है, धूप में रखा शीशी में बंद आयोडीन पिघल जाता है, पानी में हिलता लेंस का क्लोज अप, डर्बी घोड़े दौड़ते हुए किसी मोड़ पर मुड़ना, पंद्रह हज़ार हाॅर्स पाॅवर की ऊर्जा, धीमी गति से न्यूट्राॅन कणों का हमला और नाभिकीय विखंडन।
और आपको बरबस ही उसे प्यार करने को मन हो आता है। मैं उसके प्यार में जी रहा हूं, क्या कहें मर रहा हूं, या कहें कि मरते हुए जी रहा हूं या ये ही मान लें कि जीते हुए मर रहा हूं। माफ करें मैं एक्जेक्टली नहीं जानता कि मैं जी रहा हूं या मर रहा हूं।
भाई सा’ब आपने उनका हंसना सुना?
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