लड़की ने अपना फेक फेसबुक अकाउंट खोला। सर्चबार में आर लिखा और दूसरे विकल्प को सेलेक्ट किया। ‘इसके सिर्फ टैग की हुई तस्वीरें और अपडेट्स दिखते हैं और लंबे अरसे से इसने किसी को टैग नहीं किया है’
फिलहाल वह स्क्राॅल डाऊन करके ‘शो ओल्डर स्टोरीज़’ में जाकर उसके पुराने स्टेटस देख रही है।
फिलहाल वह स्क्राॅल डाऊन करके ‘शो ओल्डर स्टोरीज़’ में जाकर उसके पुराने स्टेटस देख रही है।
अंर्तजाल पर यूं तो अरबों शब्द छींटे हुए हैं। जिनमें से हज़ार शब्द उसके भी हैं।
पुराने स्टेट्स पर भी सरसरी निगाह डालते हुए उसमें जहां कहीं उसका अपना नाम दिखता - आह! कितना सुखद अतीत!! मुझे ज़हन में रखकर लिखी गई महबूब की ये पंक्तियां। नियान लाईट की रोशनी लिए उन आंखों में क्षण भर के लिए एक सौ अस्सी वाॅट की चमक आ जाती है।
और ये स्टेट्स उस शाम की है जब थोड़ी देर को सोकर उठी ही थी। सर में तेज़ दर्द था और दिल कर रहा था कि इस सूने घर में किसी को आवाज़ देकर कहूं - दीदी अदरक वाली चाय बना दो। कि तभी फोन की घंटी बजी। दिल ने जैसे धड़कना शुरू कर दिया। तकिए को हटाया तो लगा जैसे वो तकिए के नीचे ही आवाज़ लगा रहा था। फोन का रिंग भी जैसे मेरा ही नाम पुकार रही हो। स्क्रीन पर उसका नाम चमक रहा था। एन काॅलिंग..... के बाद तीन डाॅट्स जैसे बिना फोन उठाए ही जैसे इस बेचैनी को बयां कर रहे थे। काश इंतज़ार के उन बेचैन लम्हों की फोटोकाॅपी रख रखा जा सकता!
उन दिनों कितना घुमा फिरा कर ये स्टेट्स लिखा करता था! उसी शाम उसने पूछा था - क्या पहनी हो? मैंने हंस कर कहा था - गाऊन।
- उतार कर मुझे पहना दो।
- अच्छा ?
- हां, और उसके नीचे?
- चप्पल। वो भी पहना दूं।
दो जोड़े कान और होठों के दरम्यान दीर्घ हंसी देर तक गूंजती रही थी।
खुले में जैसे पुराना किला हो। इन बारिशों में पत्थरों ने हरे गाऊन डाल लिए हैं। इन्हें छूता हूं तो ये मेरा स्पर्श महसूस करती हैं। प्रेम में अमूर्त चीज़ें भी मूर्त हो जाती हैं। यादें जाफना के जंगल जैसी हैं और यहां से तुम्हें उल्टे उंगलियों से छू रहा था। तुम सांस लेने लगी हो।
इस शाम लड़की के सर का दर्द फिर तारी है। अदरकी चाय देने वाली दीदी तो आज भी नहीं है और न जिलाने वाले स्टेट्स ही।
हम दिल्ली भी घूमे हैं, लाहौर भी हो आये हैं
ReplyDeleteमगर ए यार तेरी गली तेरी गली है - बशीर बद्र
'प्रेम में अमूर्त चीज़ें भी मूर्त हो जाती हैं।'
ReplyDeleteकितनी ही सहस्त्र आत्माओं का अनुभूत सत्य होगा यह...!
कल 11/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
क्या बात है...
ReplyDeleteचंद पोस्टों तक जाती एक गली , जिसमें हमने आपका एक ठिकाना भी सहेज़ लिया है , और उसके साथ एक मुस्कुराहट के लिए चंद शब्द जोड दिए हैं , आइए मिलिए उनसे और दोस्तों के अन्य पोस्टों से , आज की ब्लॉग बुलेटिन पर
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
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मार डाले मालिक.. सीधे कतल किये हो.. :)
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