- सुन सहेली, क्या तेरा वाला भी तेरे को इतना ही प्यार करता है ?
- हाँ रे, इतना कि पूछो मत
- फिर भी... बता तो ... कितना
- जब वो मेरे साथ होता है, मैं तितली बन उडती रहती हूँ. आसमान बन कर मेरे ऊपर छा जाता है, पहली बार अपने होने पर नाज़ होता है मुझे... तू भी बात ना.. मुझे अकेले बोलते शर्म आती है.
- मुझे भी वो बहुत चाहता है और मैं भी, अब तो खाना-पीना कुछ भी नहीं सुहाता.. हर आहट पर कान धरे रहती हूँ... लगता है आ रहा है... और तो और आज सुबह कपडे प्रेस करते वक़्त पापा की कमीज उसकी समझ के प्रेस कर दी ... पापा ने कहा - इत्ते अच्छे से तो आज तक तूने मेरी जुराब भी प्रेस नहीं की. वो गाना है ना " मैं दुनिया भुला दूंगा तेरी चाहत में " उसी टाइप
- ... हम्म... तो तू क्या सोचती है ?
- सोचना क्या है, बस प्यार करना है उसी से
- और शादी ?
- छिः प्यार और शादी दो अलग अलग चीजें थोड़े ना होती हैं ?
- तो ?
- तो क्या ? शादी भी उसी से करुँगी
- तू बड़ी भोली है रे !
- और तू ? तू तो जैसे सबकी नानी है
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- जानती है, वो भी जब मेरे को अपने बाहों में कसता है दिल कसम से एकदम झूम सा जाता है
- अरे सच्ची, मन कितना भी भारी हो पर शरीर एकदम हल्का लगने लगता है
- और जानती है जब मैं अपने वाले के पैरों पर पैर रख कर खुद को उस पर छोड़ देती हूँ तो ..
- तो ... बोलो बोलो ...
- तो मैं एक पंछी के जैसी हो जाती हूँ... उसके पैरों पर नाचना जाने कैसा लगता है..
- हाँ सही, और मेरा वाला तो मुझे अचानक से पलट कर धोखे से सालसा भी करने लगता है
- तब तुझे कैसा लगता है री ?
- क्या कहूँ.. सालसा कम करता है और कानों में फुसफुसाते हुए आई लव यू ज्यादा बोलता है
- तो तुझे अच्छा नहीं लगता ?
- धत पगली,अब कैसे कहूँ कि अच्छा नहीं लगता ? अच्छा तो लगता ही है
*****
- जानती है अभी बीते करवा चौथ में वो एकदम मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया
- फिर ?
- फिर क्या, मैं टेबल के पास खड़ी थी, बाल धोये थे सो खोल रखा था, मेरी सारी उँगलियाँ टेबल पर उसका इंतज़ार कर रही थी
- अच्छा सुन , यह भी क्या कम हसीं बात है, जो तेरे लिए बाल है उसके लिए ज़ुल्फ़ है
- हाँ पता नहीं इतने रोमांटिक बातें कहाँ से लाता है........ खैर... सुन तो...
- हाँ बोल फिर क्या हुआ ?
- फिर, मेरे बाएं कान के झुमके को उठाया और आवाज़ में मिसरी घोल कर कहा - जानेमन, मेरे मुहब्बत में बर्बाद हो जाओ.
- मेरा वाला तो मेरे दोमुंहे बालों को सहलाते हुए कहता है - दिलरुबा, इसमें गर्क हो जाने हो जाने दो
- मेरा वाला भी यही कहता है
*****
- देख आज उसने मुझे यह बाली दी
- सोने की है ?
- यह तो नहीं पता, पर उसने तो यही कहा .
- ह्म्म्म...
- क्या हुआ पसंद नहीं आई तुझे ?
- ठीक है.
- और एक बात कहनी थी तुझसे, किसी को कहेगी तो नहीं ? देख किसी को मत बताना
- हम्म...तो कल सुबह तू भी उसके साथ भाग रही है.
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कल्पना के पंख लगा के उड़ती अल्हड़ मोहब्बत :)
ReplyDeleteजियो ! :)
ReplyDeleteविवाह के दोनों किनारों को बयाँ करती बातचीत, कई अन्दर के तथ्य उधेड़ती हुयी।
ReplyDeleteदिल के मुलायम एहसासों को छूती रचना ...बढ़िया
ReplyDelete...सुंदर।
ReplyDeleteइससे अच्छा मौषम नहीं भागने के लिए लोग रात के अंधेरों में काले कारनामें करते हैं....लेकिन भागने के लिए सुबह के उजाले का इन्तेजार क्यों करते हैं...आखिन इसलिए तो नहीं कि सुबह बताती है..प्यार का दामन उजला है....ये बेवकूफी भी तो है...
ReplyDeleteमुलायम
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