मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हारे बिना मर जाऊंगा उसने सुना कि मैं आत्म निर्भर नहीं हूँ और मेरा दिल बहुत छोटा है. मैंने कहा मुझे तुम्हारे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता और अगर तुम एक बार मुझे कह दो कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ तो मेरा जीना सफल हो जाएगा, उसने सुना मेरी पसंद बड़ी सीमित है साथ ही मेरा संसार भी बड़ा छोटा है और जिसका दायरा छोटा होता है उसके घेरे नहीं बढ़ते और ऐसा आशिक ही क्या जिसे सपने इतने छोटे छोटे हों कि महज़ एक लाइन से जिसका जीना सफल हो जाए. फिर मैंने कहा मुझे मेरी गलतियों के लिए कोई भी सजा दे दो पर मुझे माफ़ कर दो उसने सुना कि मुहब्बत में गिडगिडाने में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती. मैंने उससे क्षणिक सहमति दिखाते हुए फिर उसे फिर कहा कि हाँ मेरा दायरा छोटा जरूर है पर उसके अणु बहुत मजबूत हैं. उसने कोई उदहारण माँगा तो मैंने बताया कि तुम्हारे घाघरे कि तरह जहाँ उत्सुकता लगातार बनी रहती है मेरा आशय उसके क़दमों में पड़े रहने से था जो उसकी मौन आज्ञा के बाद ही ऊपर जाता लेकिन उसने सुना कि मर्द मर्द ही होते हैं और पूरी उम्र तिलचट्टे कि तरह चिपकना पसंद करते हैं.
मैंने कहा कि अच्छा शाम हो चुकी है मेरा हाथ पकड़ लो उसने सुना कि यह जीवन की साँझ है जिससे उसके हथेलियों को वो नरमी और गर्माहट नहीं मिलेगी ना ही कुव्वत से पकड़ कर नृत्य किया जा सकता है. मैंने कहा कि मैं कभी शरीफ आदमी नहीं रहा और तुम्हें टूट कर चाहना चाहता हूँ, उसने सुना कि मैं निकृष्ट श्रेणी का आदमी हूँ जो फिर से मनुष्य योनि में जन्म नहीं ले सकेगा मैंने इसका वास्ता देते हुए भी उसे मान जाने को कहा लेकिन तब उसने सुना कि मेरा कहीं कोई ठौर ठिकाना नहीं होगा.
मैंने कहा कि तुम मेरे दिल में रहोगी उसने धरना बनायीं कि यह स्पर्श का क्षणिक अनुभव से बोलता है. मैंने कहा कि कम से कम मेरे से बात तो कि और इसके लिए में तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ और रहूँगा.. उसने सुना कि मैंने उसके अहम् को सहलाया और बाकायदा उसने अपने डायरी में तुरंत, किये गए एहसानों कि लिस्ट में चौथे नम्बर पर रख दिया.
मैंने कहा तू बहुत खुबसूरत है, उसने सुना कि पेड़ से अब पत्ते टूटने ही को हैं. मैंने कहा देखो घास पर ठहरे हुए ओस कि बूँद कितनी ताज़ा है और इसी पल धरती सबसे सुन्दर है उसने अपने तलवे से उन बूँद को महसूस किया. मैंने कहा यह तुम्हारे लिए ही था और तुमको प्राप्त हुआ उसने सुना कि आदमी को अपनी आज़ादी किसी को नहीं देनी चाहिए. मैंने उसका यह सुनना भी सुनते हुए कहा हाँ मैंने अपनी आज़ादी तुम्हें दे दी क्योंकि शायद प्यार में ऐसा भी होता है (जैसा कि आप देख सकते हैं मैं इतने देर से महसूस कर रहा हूँ) उसने स्पष्ट सुना कि अब वो एकतरफा प्रेमिका से रानी हो गयी है और हजारों दिलों पर उसका राज है और आने वाले दिनों में अलग -अलग उम्र के लोग उसका गुलाम बन जायेगे. जो नहीं बन पायेंगे उन्होंने यह सुना तो मुझ पर लानत भेजी.
कई साल बीत गए और उन रह चुके गुलामों ने जब इस ज़िक्र को सुना तो वफादारी से साफ़ पलट गए. मैंने अभी अभी उससे भी यह कबूलते हुए कहा है कि हमारा समकालीन तथाकथित प्यार अमर था तो उसने सुना है कि अब इन बातों का कोई मतलब नहीं.
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(शीर्षक - नुसरत फ़तेह अली खान साब के गाये एक कव्वाली "ओ वादा शिकन" से. "ओ वादा शिकन" नाम की यह पोस्ट और कव्वाली प्रिय ब्लॉग हथकढ़ पर मौजूद है.)
बढ़िया जी ...पर वो करे भी क्या उसको "रीड बिटवीन liens " की आदत होगी
ReplyDelete:-)gender decoding!!
ReplyDeleteLimitations Of Verbal Communication.
ReplyDeleteमौखिक संचार की सीमाएं.
:(
ओह सोचालय... ये तुम हो क्या???
ReplyDeleteकहने और सुनने के बीच ऐसे कितने ही गढ्ढे खुले रहते हैं, हमको ज्ञात ही नहीं रहते हैं। बड़े सुन्दर ढंग से आपने प्रस्तुत किया। सार्थक सराहनीय लेख।
ReplyDeleteमैंने कहा बहुत ही पारदर्शी है और उसने सुना एक नाटक भर..
ReplyDeleteएक पक्ष सामने रखती कहानी..
मैंने कहा की बेचारगी और उसने सुना पे लगे आरोप..
रोचक :)
हमने कुछ कहा तुमने कुछ और सुना....अब क्या करें इसमें मेरी खता नहीं ...
ReplyDelete@ डिम्पल मल्होत्रा
ReplyDeleteयह कहानी नहीं था. मैंने अभी तक कहानी कहना कहाँ सीखा है... यह कल्पना और सोच का संगम था, एक झलक था मानव मन में झांकते हुए देखने का, एक मानसिकता थी... सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए जानना था... इसे किसी नोवेल में लिया जा सकता है, कहानी का हिस्सा मान सकते हैं पर कहानी इत्ते भर ही थोड़े होती है ... इस लिहाज़ से देखें तो यह बिलकुल एकतरफा होगा की जैसे अपनी बात कही, वही सच है, सर्वोपरि है और अकाट्य है और सही है.
फिलहाल इसे सोच परोसती एक पोस्ट भर मानिए.. दिल किया या समय मिला तो यू टर्न भी लेंगे... आपका धन्यवाद !
@सागर
ReplyDeleteकहानी नहीं है या कहानी का एक टुकड़ा ,मतलब इससे नहीं है..पोस्ट कहना अजीब सा लगता है इसलिए कहानी लिख दिया और क्या आप ज़िन्दगी भर पोस्ट पोस्ट ही लिखते रहेंगे? कोई नाम दिया करे..सुविधा रहेगी ...):
@सागर
ReplyDeleteकहानी का हिस्सा मान सकते हैं पर कहानी इत्ते भर ही थोड़े होती है ... कहानी तो इत्ते भर भी होती है एक राजा था एक रानी,दोनों मर गये खत्म कहानी...):
एक था राजा, एक थी रानी, दोनों जिंदा है ....शुरू कहानी ....अच्छी कहानी है सागर! आप भी लिखना सीख गए :-)
ReplyDeleteआगे क्या हुआ सागर ??????
पोस्ट लेखक के द्वारा खुद को जबरन बुरा/निकृष्ट साबित किये जाने की को्शिश और ’उस’के द्वारा लेखक को ऐसा मान भी लिये जाने से पैदा लेखक की झुंझलाहट का सटीक चित्रण करती है...वैसे सोच अगर घाघरे के दायरे जितनी तंग हो जाये तो सवाल उठने लाजिमी हैं..सच कहा है मगर इसका दूसरा पार्ट किधर है..मतलब रानी के कहे को गुलामों ने भी और का और समझा होगा..नहीं?..वैसे मुआमला पेचीदा है खासा..लेखक के कहे को ’उसने’ क्या इंटरप्रेट किया..फिर उसके इंटरप्रेटेशन को लेखक ने कैसे इंटर्प्रेट किया..और अब लेखक के इस इंटर्प्रेट किये हुए को पाठक क्या इंटरप्रेट करता है..असली बात तो बड़ी पीछे रह गयी...बड़ा काम्प्लेक्स सा हो गया...या यूँ कहें कि सादे पानी जैसे कथाक्रम मे इतने सारे लोग अपनी साइकोलॉजी के अलग-अलग रंग घोल रहे हैं कि आखिरी रंग सबका मिक्सचर हुआ है..
ReplyDeleteमगर जिंदगी इन सारे कच्चे-पक्के कन्फ़्यूजन्स से मिल के ही बनती है ना...
रेगुलर पोस्ट तो खैर लिखते ही रहो | तुम ऐसी पोस्ट भी लिखो सागर, लेकिन उन्हें पब्लिश मत करो तब तक, जब तक कि उनके टुकड़े आपस में नहीं जुड़ जाते | तुम बेशक अच्छा गद्य लिखते हो, अच्छी कहानी कहने का हुनर भी है | बेतरतीबी को बस एक सिलसिला दे दो, दरिया खुद रास्ता ढूंढ लेता है |
ReplyDeleteबात तो सही कही है आपने ....लिखा बेशक गद्य में है ..पर काव्यात्मकता पूरी तरह से झलकती है ...बहुत विचारणीय पोस्ट ...शुक्रिया
ReplyDeleteबेहतरीन डायरी के पन्ने .....!!
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